#शैशवावस्था_बाल_विकास_मनोविज्ञान_LC_Meena #शैशवावस्था-समय परंपरावादी दृष्टिकोण के प्रतिपादक पेस्टोलॉजी के अनुसार- गर्भावस्था से लेकर के 6 वर्ष तक।
#जबकि स्टेनली हॉल ने शेशवावस्था का समय- जन्म से 5 वर्ष बताया।
वास्तविक समय जन्म से 6 वर्ष होता है #इसे दो भागों में बांटते हैं पूर्व शैशवावस्था-जन्म से लेकर के और 3 वर्ष तक ।
# उत्तर शैशवावस्था -3 वर्ष से लेकर के 6 वर्ष तक होती है ।
प्रमुख परिभाषाएं -
#वाटसन के अनुसार -"मुझे कोई भी बच्चा दे दो मैं उसे कुछ भी बना सकता हूं डॉक्टर इंजीनियर आदि"
#जॉन लॉक के अनुसार -"शिशु कोरे कागज के समान होता है जिस पर लिखने का कार्य अनुभव द्वारा होता है"
#क्रो& क्रो के अनुसार -बीसवीं सदी बालक की शताब्दी है"।
#रूसो के अनुसार-" हाथ-पैर नाक कान आंख बालक के प्राथमिक शिक्षक होते हैं"
Js रोस के अनुसार- "बालक कल्पना ओं का नायक या शक्तिपुंज होता है"
#वैलेंटाइन के अनुसार- "शैशवावस्था सीखने का आदर्श काल होता है।" थार्नडाइक या थस्टन के अनुसार- "शैशवावस्था में शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास सबसे तेज होता है"
3 साल की अवस्था में मानसिक या मस्तिष्क 50% निर्मित हो जाता है जबकि 80% विकसित हो जाता 6 वर्ष की आयु में।
#एडलर के अनुसार- "जन्म के कुछ समय बाद यह पता लग जाता है कि बच्चे का भावी जीवन में क्या स्थान होगा।"
#जीन पियाजे के अनुसार- "शैशवावस्था में शिशु इंद्रियों के ज्ञानेंद्रियों से ज्ञान प्राप्त करता है।"
#सिगमंड फ्रायड के अनुसार -"बच्चा भाभी जीवन में क्या बनेगा इसका पता 4-5 वर्ष की उम्र में लग जाता है"
#गुड इनफ के अनुसार-"मानव जीवन में मस्तिष्क का जितना भी विकास होता है उसका आधा विकास 3 वर्ष में हो जाता है"
#हरलोक के अनुसार- "शैशवावस्था शिशु के लिए संघर्षपूर्ण अवस्था है"
#शैशवावस्था के उपनाम#
1.जीवन की प्रारंभिक अवस्था, 2.जीवन की महत्वपूर्ण अवस्था, 3.भावी जीवन की आधारशिला, 4.पूर्व विद्यालय अवस्था, 5.प्लास्टिक अवस्था, 6.खिलौनों की अवस्था, 7.अतार्किक चिंतन की अवस्था 8.संस्कारों निर्माण की अवस्था। 9.सीखने की अवस्था, 10.सीखने का आदर्श काल, 11.मूर्त चिंतन की अवस्था, 12.निर्भरता की अवस्था।
#शैशवावस्था की विशेषताएं
1.शिशु ना सामाजिक होता है ना असामाजिक होता है ना नैतिक होता है ना अनैतिक होता है -जीन पियाजे
2. मैक डूगल के अनुसार मूल प्रवृत्ति संवेग का सर्वाधिक विकास होता है।
3. शिशु अपना कार्य अपने हाथ से नहीं करता पर निर्भरता पाई जाती है।
4. अतार्किक अमूर्त चिंतन पाया जाता है।
5. प्रत्यक्ष चिंतन पाया जाता है।
6. दोहराने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
7. प्रयास व भूल का सिद्धांत लागू होता है।
8.शिशु का कार्य व्यवहार मूल प्रवृत्ति वसंबे को पर आधारित होता है।
9.अंतर्मुखी व्यक्तित्व का विकास होता है।
10. सिगमंड फ्रायड के अनुसार बच्चे में कामुक प्रवृतियां पाई जाती है।
#शैशवावस्था की प्रमुख अध्यन विधियां-
१.खेल विधि के प्रतिपादक William cook
२.किंडर गार्डन विधि के प्रतिपादक फॉबल
३. मोंटेसरी विधि के प्रतिपादक मारिया मोंटेसरी
लड़के में पित्र विरोधी ग्रंथियां का विकास होता है जबकि लड़की में मात्र विरोधी ग्रंथियों का विकास होता है। Prerna classes by LC Meena
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